WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Major Dhyan Chand Khel Ratna Award: ऐसा खिलाड़ी जिसने हिटलर को भी किया था प्रभावित!

SUKESH KUMAR
Major Dhyan Chand Khel Ratna Award(image via Hokey india)

Major Dhyan Chand Khel Ratna Award: आज हम बात करेंगे एक ऐसे महान भारतीय खिलाड़ी की, जिन्होंने अपने खेल से पूरे विश्व को चौंका कर रख दिया। उनकी हॉकी के मैदान पर जादुई कौशल ने उन्हें “हॉकी के जादूगर” के रूप में प्रसिद्ध कर दिया। यह कहानी है मेजर ध्यानचंद की, जिनका नाम भारतीय खेल इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।

Who was Major Dhyan chand?: कौन थे मेजर ध्यानचंद?

Indian Hockey Legend Dhyan Chand जी का जन्म 29 अगस्त, 1905 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका असली नाम ध्यान सिंह था, लेकिन बाद में वे “ध्यानचंद” के नाम से मशहूर हुए। उनके जीवन में खेल का महत्व बहुत बड़ा था। ध्यानचंद भारतीय हॉकी टीम के मुख्य खिलाड़ी थे, Major Dhyan Chand Khel Ratna Award एवं अपनी अनोखी प्रतिभा से भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण भी भी पदक दिलाए।

ध्यानचंद को “हॉकी के जादूगर” कहा जाता है। इसका कारण था उनका गेंद पर अद्वितीय नियंत्रण और स्कोर करने की अद्वितीय क्षमता। जब वे मैदान पर होते थे, तो दर्शक उनकी जादुई चालों को देख कर मंत्रमुग्ध हो जाते थे। उनके खेल को देखकर ऐसा लगता था कि जैसे गेंद उनकी हॉकी स्टिक से चिपक गई हो।

Major Dhyan Chand Khel Ratna Award And Overview

विषयसंक्षिप्त विवरण
मेजर ध्यानचंद कौन थे?भारतीय हॉकी के महान खिलाड़ी, जिन्हें “हॉकी के जादूगर” के रूप में जाना जाता है।
जन्म29 अगस्त 1905, इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश
अंतर्राष्ट्रीय करियर1926 में शुरुआत, तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते (1928, 1932, 1936)
मुख्य उपलब्धियाँअद्वितीय स्कोरिंग क्षमता, भारतीय हॉकी को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई
पुरस्कार एवं सम्मानपद्म भूषण (1956), ध्यानचंद पुरस्कार, राष्ट्रीय खेल दिवस (29 अगस्त)
प्रभाव एवं विरासतभारतीय खेल इतिहास में अमर, हॉकी की लोकप्रियता में बड़ा योगदान
प्रसिद्ध कहानियाँहिटलर का प्रस्ताव अस्वीकार करना, चुंबक वाली स्टिक का मिथक
सेवानिवृत्ति एवं बाद का जीवन1948 में संन्यास, कोच के रूप में सेवा, 3 दिसंबर 1979 को निधन
लोकप्रिय संस्कृति में स्थानकई किताबें, डॉक्यूमेंट्री, स्टेडियम और सड़कों के नाम ध्यानचंद के नाम पर

इसे भी देखें – Anuradha Tiwari career journey: संघर्ष से सफलता तक का सफर!”

Major Dhyan Chand प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

Indian Hockey Legend Dhyan Chand का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता स्वयं भारतीय सेना में थे और परिवार के लिए खेल का बहुत महत्व था। ध्यानचंद ने अपने पिता से ही खेल के प्रति रुचि विकसित की।

ध्यानचंद की प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही उनका ध्यान हॉकी की ओर आकर्षित हुआ। लेकिन उस समय उनके पास खेल के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता था। वे ज्यादातर चाँदनी रात में अभ्यास करते थे, इसलिए उनका नाम “ध्यानचंद” पड़ा।

Major Dhyan Chand Recruitment in Indian Army and beginning of hockey career: भारतीय सेना में भर्ती और हॉकी करियर की शुरुआत

Major Dhyan Chand 1922 में, 16 वर्ष की उम्र में, भारतीय सेना में भर्ती हो गए। सेना में रहते हुए, उन्होंने हॉकी में अपने खेल को और निखारा। उनकी प्रतिभा को देखकर सेना के अधिकारियों ने उन्हें प्रोत्साहित किया।

सेना के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं में ध्यानचंद ने अपनी खेल प्रतिभा का परिचय दिया। उनकी खेल शैली ने उन्हें जल्द ही एक बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर दिया।

प्रसिद्धि की ओर: Major Dhyan Chand का अंतर्राष्ट्रीय करियर

Indian Hockey Legend Dhyan Chand ने 1926 में अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। Major Dhyan Chand Award पहला बड़ा टूर्नामेंट 1928 का एम्स्टर्डम ओलंपिक था, जहाँ उन्होंने भारतीय हॉकी टीम को स्वर्ण पदक जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, 1932 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक और 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भी ध्यानचंद ने अद्वितीय प्रदर्शन किया।

Indian hockey legend Dhyan Chand
Indian hockey legend Dhyan Chand(image credit Hokey star)

इन ओलंपिक खेलों में ध्यानचंद की अद्भुत स्कोरिंग क्षमता ने भारत को तीन बार स्वर्ण पदक दिलाया। विशेष रूप से 1936 के बर्लिन ओलंपिक में उनके खेल ने हिटलर तक को प्रभावित किया।

भारतीय हॉकी पर ध्यानचंद का प्रभाव

Indian Hockey Legend Dhyan Chand ने भारतीय हॉकी को विश्व मंच पर जो प्रतिष्ठा दिलाई, वह अद्वितीय है। उनके खेल ने भारत को हॉकी में विश्व का सर्वश्रेष्ठ बनाया। उनकी शैली ने न केवल उनकी पीढ़ी के खिलाड़ियों को बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों को भी प्रेरित किया।

भारत में हॉकी की लोकप्रियता और गौरव के पीछे ध्यानचंद का बड़ा योगदान रहा है। उनकी विरासत आज भी भारतीय खेल संस्कृति में जीवित है।

Major Dhyan Chand award: पुरस्कार और मान्यता

ध्यानचंद को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले। उन्हें 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ध्यानचंद के नाम पर भारत का सबसे प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार “ध्यानचंद पुरस्कार” भी स्थापित किया गया है, जो जीवन पर्यन्त उपलब्धियों के लिए दिया जाता है।

भारत में National Sports Day India 29 August को, ध्यानचंद के जन्मदिन के अवसर पर, राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Indian Hockey Legend Dhyan Chand की कहानियाँ और उनकी अद्वितीयता

ध्यानचंद की खेल शैली और उनके अद्वितीय कौशल के कई किस्से मशहूर हैं। उनके खेल को देखकर लोग विश्वास नहीं कर पाते थे कि कोई खिलाड़ी इस तरह की तकनीक से खेल सकता है। एक बार, ध्यानचंद के स्टिक में चुंबक होने का भी संदेह किया गया था, लेकिन यह उनकी प्रतिभा का ही कमाल था।

हिटलर ने 1936 के ओलंपिक में ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर उन्हें जर्मनी की नागरिकता और सेना में उच्च पद का प्रस्ताव भी दिया था, जिसे ध्यानचंद ने विनम्रता से अस्वीकार कर दिया।

Major Dhyan Chand सेवानिवृत्ति और बाद का जीवन

ध्यानचंद ने 1948 में हॉकी से संन्यास लिया। इसके बाद उन्होंने भारतीय खेल प्राधिकरण में कोच के रूप में कार्य किया और युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया। उनकी सेवाओं का भारतीय हॉकी में अमूल्य योगदान रहा है।

ध्यानचंद ने अपना शेष जीवन साधारणता में बिताया। 3 दिसंबर, 1979 को उनका निधन हो गया।

Indian hockey legend Dhyan Chand और लोकप्रिय संस्कृति

Major Dhyan Chand को भारतीय जनता के दिलों में हमेशा के लिए स्थान मिला हुआ है। उनकी जीवन गाथा पर कई किताबें लिखी गई हैं और डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई गई हैं। भारत के कई स्टेडियमों और सड़कों का नाम भी ध्यानचंद के नाम पर रखा गया है।

ध्यानचंद की स्थायी विरासत

Indian Hockey Legend Dhyan Chand का योगदान सिर्फ भारतीय हॉकी तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने भारतीय खेलों को भी एक नई पहचान दी है। उनके खेल कौशल ने उन्हें विश्व खेल इतिहास में अमर बना दिया है।

उनका नाम आज भी उन सभी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो अपने खेल में महानता प्राप्त करना चाहते हैं। ध्यानचंद के बिना भारतीय हॉकी का इतिहास अधूरा है। उनका जीवन और उनकी उपलब्धियाँ हमेशा भारतीय खेल इतिहास में चमकती रहेंगी।

दोस्तों यदि ये आर्टिकल थोड़ा भी आपको इन्फॉर्मेशनल लगा हो तो अगले अपडेट्स के लिए नोटिफिकेशन को इनेबल कर लेवे और अपने दोस्तों एवं सम्बन्धियों के भींच शेयर जरूर करे।

FAQs

Major Dhyan Chand कौन थे?

ध्यानचंद को “हॉकी के जादूगर” कहा जाता है।

Major Dhyan Chand Khel Ratna Award कितने मिले?

तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते: 1928, 1932, 1936 में।

Major Dhyan Chand पुरस्कार क्या है?

ध्यानचंद के नाम पर भारत का सबसे प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार “ध्यानचंद पुरस्कार” भी स्थापित किया गया है।

इसे भी देखें – Paralympics 2024 Paris details: जानें कैसे बदल देगा यह ऐतिहासिक आयोजन आपकी दुनिया!

Share This Article
Leave a comment